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दूर होने की इल्तिज़ा न करो / रंजना वर्मा

दूर होने की इल्तिज़ा न करो
बात तुम हिज्र की किया न करो

हर किसी का नसीब होता है
देख औरों को यूँ जला न करो

रात होगी तो ख्वाब आयेंगें
इतने बेचैन भी हुआ न करो

ग़र खिज़ा है बहार भी होगी
इसके रुक जाने की दुआ न करो

आग जलती है जला डालेगी
बेवजह तुम इसे छुआ न करो

जो हमेशा वफ़ा निभाते हैं
साथ उन के कभी दग़ा न करो

तेरी खुशियों में सब रहें शामिल
जख़्म ग़ैरों को भी दिया न करो

दिल कभी रेत सा नहीं होता
नाम लिखकर मिटा दिया न करो

प्यार दोगे तो प्यार पाओगे
नफरतें प्यार का सिला न करो