नज़र को तेरी जुस्तजू चाहिए है
नहीं और कुछ आरज़ू चाहिए है
समंदर जज़ीरे फलक चाँद सूरज
तुम्हारी महक कू- ब- कू चाहिए है
मुझे इश्क़ करने को सूरत कोई सी
तुम्हारी तरह हू- ब- हू चाहिए है
दुआ ही नहीं कुछ असर भी मिले अब
मरीज़े- मुहब्बत को तू चाहिए है