(राग नायकी-ताल मूल)
नील कमल, नव-नील-नीरधर, नील मनोहर मरकत स्याम।
राज-राजमनि-मुकुञ्ट कोटि-कंञ्दर्प-दर्प-हर सोभा-धाम॥
राजत रत्न-रचित सिंहासन, भ्राजत सिर मनि-मुकुञ्ट ललाम।
अंग-अंग सुचि सुषमा-सागर मुनि-मन-हर लोचन अभिराम॥
बरद हस्त-मुद्रा महिमामय भक्तञ्-कल्पतरु पूरन काम।
जनकनंदिनी सहित सुसोभित सुख-दायक रघुनायक राम॥