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न कोई साथ हो ऐसी दुआ नहीं करते / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
न कोई साथ हो ऐसी दुआ नहीं करते
जफ़ा ही जिनकी हो फ़ितरत वफ़ा नहीं करते
शग़ल है जिनका समन्दर में डुबकियाँ लेना
वो कभी साथ कोई नाखुदा नहीं करते
सतायें लाख दूसरे मगर हैं नेक जो दिल
वो किसी के भी लिये बद्दुआ नहीं करते
भरे हों जो गुलों से गुलशनों का क्या कहना
चमन से खुशबुओं को तो जुदा नहीं करते
वो खुशनसीब हैं मिल जाये हमसफ़र जिन को
जो दिल अजीज़ हैं उन को खफ़ा नहीं करते
खता करे जो जमाने मे सजा हो उस को
हैं बेगुनाह जो उन को सजा नहीं करते
मिले हैं जख़्म जिन्हें उन को तसल्ली दे दो
किये अहसान जुबां से कहा नहीं करते