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पढ़ना-लिखना मज़बूरी है! / रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’

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मुश्किल हैं विज्ञान, गणित,
हिन्दी ने बहुत सताया है ।
अंग्रेज़ी की देख जटिलता,
मेरा मन घबराया है ।।

भूगोल और इतिहास मुझे,
बिल्कुल भी नही सुहाते हैं ।
श्लोकों के कठिन अर्थ,
मुझको करने नही आते हैं ।।

देखी नही किताब उठाकर,
खेल-कूद में समय गँवाया ।
अब सिर पर आ गई परीक्षा,
माथा मेरा चकराया ।।

बिना पढ़े ही मुझको ,
सारे प्रश्नपत्र हल करने हैं ।
किस्से और कहानी से ही,
काग़ज़-कॉपी भरने हैं ।।

नाहक अपना समय गँवाया,
मैं यह ख़ूब मानता हूँ ।
स्वाद शून्य का चखना होगा,
मैं यह ख़ूब जानता हूँ ।।

तन्दरुस्ती के लिए खेलना,
सबको बहुत ज़रूरी है ।
किन्तु परीक्षा की ख़ातिर,
पढ़ना-लिखना मज़बूरी है ।।