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प्रेम नकली प्यार नकली / मृदुला झा
Kavita Kosh से
है सहज सत्कार नकली।
रेत से मानों बने हों,
हैं कई घरबार नकली।
सुबह नकली शाम नकली,
है सभी व्यापार नकली।
दांव किस पर हम लगाएँ,
जीत नकली हार नकली।
आज कल बेबास कलियाँ,
भौंर का गुलज़ार नकली।
इक पते की बात समझो,
प्यार का आधार नकली।
चित्रपट पर जो दिखाते,
हैं सभी व्यवहार नकली।