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प्रेम / ज़िन्दगी को मैंने थामा बहुत / पद्मजा शर्मा
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अंधेरों को उजालों से भर देता है
असम्भव को सम्भव कर देता है
दूर को पास कर देता है
उम्र भले लम्बी न करे
मगर लम्बी उम्र की आस ज़रूर जगा देता है प्रेम
बुज़ुर्गों के आशीर्वाद
माँ-बहन की दुआएँ पाना चाहेंगे
सब चेहरों पर हँसी देखना चाहेंगे
तो देना होगा सबको प्रेम
कभी रोशनी की तरह बिखरना
कभी छाया की तरह सिमटना चाहेंगे
इंतज़ार करेंगे
न कहकर भी बहुत कुछ कह जाएँगे
फिर भी कई क्षण अनकहे रह जाएँगे
अगर आप में बचा होगा प्रेम