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बरहमासा / रामदेव भावुक

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पियबा करथिन रोपनियां, हम निकौनियां करबै ना

आयल जेठ हेठ भेल बरखा, धनमा के पारब मोरिया
चढ़ल अषाढ़ बाढ़ मजरायल, घिर-घिर आए बदरिया
पियबा बोयथिन मकैय, कि अब रोहिनिया परलै ना

सावन शेष भेष तपसी के, भदवा मे करि के कदबा
लुहकि-लुहकि हम रोपब धनमा, रिमझिम पड़त बदरबा
पियबा बान्हथिन पगड़िया, हम ओढ़नियां ओढ़बै ना

आसिन मास आस चास के, कातिक कंत कियरिया
अगहन अंत पंथ नियरायल, हथबा मे लए के हँसुलिया
पियबा करथिन कटनियां, कि हम ओढ़नियाँ लोढ़बै ना

काटि धान खरिहान मे लयब, ढोय लगायब ढेरिया
सुख के बाजत बधाबा घर मे, मिलि-जुलि गायब लोरिया
पियबा करथिन दओनिया, किहम ओसौनियां करबै ना

मुनहर घर आंगन सब भरबै, विहँसत लाल किरिनियां
मेहनत के फल मिलि-जुलि खायब, लागल रहत लगनियां
पियबा भरथिन छितनियां, कि हम मओनियां भरबै ना