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भाई कबिरा, सुनो / सुनो तथागत / कुमार रवींद्र

भाई कबिरा, सुनो
हम-तुम नये युग में आ चुके हैं
 
'वाई-टू' की खबर तो
तुमने किसी से सुनी होगी
और तुमने भी चदरिया
नये युग की बुनी होगी
 
रामजी की बहुरिया की
पीठ में चाकू भुंके हैं
 
अब नहीं चल पायेगी यह
बदल लो भरनी पुरानी
और सीखो, भाई, तुम भी
इस समय की उलटबानी
 
अभी आई सूचना है
सूर्य के घोड़े रुके हैं
 
धन्य हो तुम
दे रहे हो ढाई आखर के संदेशे
आँख में सबकी भरे हैं
एक-दूजे से अँदेशे
 
नये युग का यही फैशन
कोर्निश में सब झुके हैं