भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मत अइहा गांधी बाबा / जयराम दरवेशपुरी
Kavita Kosh से
मत अइहा गांधी बाबा
हो सब के नीन हराम
हर चौराहा पर बन्नुक ले
लैस हो नाथूराम
प्रार्थना भवन तू जा न´ पइवा
शासन हो बड़ लूँज
पलखइत पइते घरो घुस के
देता तोहरा भूँज छल प्रपंच के ई पहाड़ पर
अब न´ तोहर काम
तहिना दू गोली नस्ते भर
अब छलनी कर देतो सीना
तोहर राह के राही सब के
मुश्किल हो गेलो हे जीना
घर लूटऽ हो रखवालन सब
बहिरा हथ तोर राम
सत्य अहिंसा के ओठधन पर
राम राज के खड़ा हो खटिया
समाजवाद के परदा पर अब
अइलो रंग बिरंगी चटिया
दोषी सब निर्दोष आज हो
बदल गेलो इलजाम
पइसा पर इन्साफ चलऽ हो
आफिस कोट कचहरी थाना
सड़सठ बरिस के आजादी के
गइयो कत्ते घिनामन गाना