आग सब जला देती है
पर यह कैसी आग
जो जल रही है निरन्तर
बढ़ रही है लगातार
झुलसा बहुत कुछ
पर भस्म नहीं हुआ सब कुछ
बचा है मनुष्य में मनुष्य अब भी
००० ००००
क्या मनुष्य भी एक दिन
फायरप्रूफ हो जाता है
लोहे की मशीन की तरह
या कि बचा रहता है जरा सा मनुष्य
मनुष्य में
मनुष्य की तरह
हर तरह के मशीनीकरण के बाद भी