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माज़ी की बेरुख़ी को गवारा तो कीजिये / रंजना वर्मा
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माजी की बेरुख़ी को गवारा तो कीजिये
अब आप कुछ खयाल हमारा तो कीजिये
हम आपके कदमों में झुका देंगे सर मगर
इस वास्ते थोडा सा इशारा तो कीजिये
हैं आप जहाँ हम भी वहीं लौट आयेंगे
पर आप हमें दिल से पुकारा तो कीजिये
है बेक़रार दिल बड़ी बेचैन जिंदगी
बिखरे हुए जज्बात सँवारा तो कीजिये
हम हारते रहे हैं मुहब्बत में बार बार
कुछ आप भी इस खेल में हारा तो कीजिये
गुमसुम है हवा चोट पपीहे को है लगी
सहला के उसे प्यार दुबारा तो कीजिये
फिर लौट के आएंगे वो आना ही पड़ेगा
पलकों से जरा राह बुहारा तो कीजिये