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मुझको तेरे नूर का हिस्सा कहते हैं / सूफ़ी सुरेन्द्र चतुर्वेदी
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मुझको तेरे नूर का हिस्सा कहते हैं ।
अब तो लोग मुझे भी दरिया कहते हैं ।
जब से तेरा हुआ हूँ मेरे बारे में,
मेरे अपने जाने क्या-क्या कहते हैं ।
तू मुझमें दिखता है कोई भी देखे,
लोग मुझे अब तेरा आईना कहते हैं ।
घर की सूनी दीवारें रो पड़ती हैं,
सन्नाटे जब मेरा क़िस्सा कहते हैं ।
बन्द पड़ा कमरा हूँ यादों का जिसको,
बस मकड़ी के जाले अपना कहते हैं ।
नींद में मेरे ख़्वाबों की हिम्मत देखो,
मुझे जगा कर उल्टा-सीधा कहते हैं ।
तू आए तो शायद ज़िन्दा मान भी लें,
अभी तो दुनिया वाले मुर्दा कहते हैं ।