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मेरी जान ले क्या नफ़ा पाइएगा / प्रेमघन
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मेरी जान ले क्या नफ़ा पाइएगा।
छुड़ाकर ए दामन किधर जाइएगा॥
जो कहता हूँ अब रहम हो जाय मुझ पर।
तो कहते हैं फिर आप आ जाइएगा॥
किया कत्ल तेगे निग़ह से जो मुझ को।
कदमरंजा मरकद पर फरमाइएगा॥
इनायत करो हुस्न के जोश में वरना।
फिर हाथ मल-मल के पछताइएगा॥
वो हँसते हैं सुनकर जो कहता हूँ उनसे।
जलाकर मुझे आप क्या पाइएगा॥
निकलवा के छोड़ेंगे बदरीनारायन।
अगर आप मेरे तरफ आइएगा॥3॥