भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मैंने प्यार किया था तुमको / अलेक्सान्दर पूश्किन

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: अलेक्सान्दर पूश्किन  » संग्रह: धीरे-धीरे लुप्त हो गया दिवस-उजाला
»  मैंने प्यार किया था तुमको

मैंने प्यार किया था तुमको और बहुत सम्भव है अब भी
मेरे दिल में उसी प्यार की सुलग रही हो चिंगारी,
किन्तु प्यार यह मेरा तुमको और न अब बेचैन करेगा
नहीं चाहता इस कारण ही अब तुम पर गुज़रे भारी।

मैंने प्यार किया था तुमको, मूक-मौन रह, आस बिना
हिचक, झिझक तो कभी जलन भी मेरे मन को दहकाए,
जैसे प्यार किया था मैंने सच्चे मन, कोमलता से
हे भगवान, दूसरा कोई, प्यार तुम्हें यों कर पाए!


रचनाकाल : 1829