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मैंने प्यार किया था तुमको और बहुत सम्भव है अब भी
मेरे दिल में उसी प्यार की सुलग रही हो चिंगारी,
किन्तु प्यार यह मेरा तुमको और न अब बेचैन करेगा
नहीं चाहता इस कारण ही अब तुम पर गुज़रे भारी।
मैंने प्यार किया था तुमको, मूक-मौन रह, आस बिना
हिचक, झिझक तो कभी जलन भी मेरे मन को दहकाए,
जैसे प्यार किया था मैंने सच्चे मन, कोमलता से
हे भगवान, दूसरा कोई, प्यार तुम्हें यों कर पाए!
रचनाकाल : 1829