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मोहन जी केॅ हँसिया कि मोहन जी के बँसिया / भवप्रीतानन्द ओझा

झूमर (झूमटा)

मोहन जी केॅ हँसिया कि मोहन जी के बँसिया,
मोहन जी केॅ हँसिया कि मोहन जी के बँसिया,
दुहु डारे...
जे गोपिनी गरें फँसिया, कि दुहु डारे
नैना तिरिछिया कि कदम्ब बिरिछिया,
नैना तिरिछिया कि कदम्ब बिरिछिया,
दुहु मारे...
नारी हियराँ बरछिया कि दुहु मारे
शामली सुरतिया कि कपट पीरितिया,
शामली सुरतिया कि कपट पीरितिया,
दुहु नाशे...
रे, कामिनी कुल-जतिया कि दुहु नाशे
भवप्रीताक मतिया कि भवप्रीताक गतिया,
दुहु करें...
युगल चरण बसतिया कि दुहु करेॅ।।