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यही जनक्रान्ति परिवर्तन नहीं लाये तो फिर कहना / डी. एम. मिश्र
Kavita Kosh से
यही जनक्रान्ति परिवर्तन नहीं लाये तो फिर कहना
ये गर सरकार घुटनों पे न आ जाये तो फिर कहना
चढ़ा है इन्क़लाबी जोश बच्चों, औरतों पर भी
वेा ज़ालिम भूल से भी सामने आये तो फिर कहना
हमें जुल्मो-सितम से इक मवाली क्या डरायेगा
भरोसा है हमें मुंह की न वो खाये तो फिर कहना
लतीफ़े और जुमले और कब तक वो सुनायेगा
अगर कल तक मदारी वो न शरमाये तो फिर कहना
ग़ज़ब है एक चिड़ियामार तीरंदाज बन बैठा
हमारे सामने दो पल ठहर पाये तो फिर कहना
हमें चींटी समझने की ग़लतफ़हमी वो पाले है
हमारे नाम से हाथी न घबराये तो फिर कहना