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याद न जाए बीते दिनों की / शैलेन्द्र
Kavita Kosh से
याद न जाए, बीते दिनों की
जाके न आये जो दिन, दिल क्यूँ बुलाए, उन्हें
दिल क्यों बुलाए
याद न जाये ...
दिन जो पखेरू होते, पिंजरे में मैं रख देता
पालता उनको जतन से
पालता उनको जतन से, मोती के दाने देता
सीने से रहता लगाए
याद न जाए ...
तस्वीर उनकी छुपाके, रख दूँ जहाँ जी चाहे
मन में बसी ये सूरत
मन में बसी ये सूरत, लेकिन मिटे न मिटाए
कहने को है वो पराए
याद न जाए ...