यूँ कारे जहाँ से कभी फुरसत नहीं होगी
ये सच है कि अब हमसे मोहब्बत नहीं होगी
सब अपनी तमन्नाओं के नरग़े में घिरे हैं
इनमें से किसी से भी बग़ावत नहीं होगी
ये ताज़ा हवायें तो परिन्दों के लिये हैं
पर ऊँची उड़ानों की इजाज़त नही होगी
सब कुछ वही होगा जिसे हम देख चुके हैं
पर दिन से सियह रात को निस्बत नहीं होगी