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रचि-रचि धरतिया / जयराम दरवेशपुरी
Kavita Kosh से
छिनबइ भोरहरिया से
ललकी किरिनियाँ
टुह-टुह किरिनियाँ
से रांग देबइ ना
दप्-दप् खेत खरिहनियाँ
से रांग देबइ ना
दिन दोपहरिया
डटल हइ कियरिया में
डटल हइ कियरिया में
संगे संगे ना
कमियाँ कमियाँ
से संगे-संगे ना
रचि-रचि धरतिया के
कइलूं सिंगरवा
से कइलूं सिंगरवा
से चुह-चुह ना
समर हरियर पथरिया
से चुह-चुह ना
रहि-रहि उपरा में
ठनकइ बदरवा
से ठनकइ बदरवा
कि दहल जा हइ ना
निहुरल गोरिया
से दहल जा हइ ना
काना में अँगुरी द
ठाढ़ सब रोपनियाँ
हाँ ठाढ़ रोपनियाँ
से निहुरि-निहुरि ना
खून अउ पसेनमा से
रांगल धरतिया
से रोजे-रोज ना
उगइ सावा पहल सोनमां
से रोजे-रोजे ना
अँचरा पसान माँगइ
कमियाँ किसइनियाँ
से कमियाँ किसइनियाँ
से रज-गज ना
अइहें अगहन महिनमां
से रज-गज ना।