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लकीरें / वाज़दा ख़ान
Kavita Kosh से
उग आया है अँधेरा
अपनी तमाम शाखाओं-प्रशाखाओं के संग
आकाश / चिड़िया / पेड़ / पौधे / दीवारें / सृष्टि सभी
विलीन हैं स्याह अँधेरे के आलिंगन में
यहाँ तक कि हाथ की लकीरें भी
लिखा होता है जिसमें इतिहास / वर्तमान / भविष्य
चलो कहीं और चलकर तलाशें रोशनी
पा सकेंगे तब हाथ की रेखाओं के संग-संग
पेशानी पर पड़ी लकीरों को भी ।