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लड़ाई का ये घर अखाडा नहीं है / रंजना वर्मा
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लड़ाई का ये घर अखाडा नहीं है
गगन ने धरा को उजाड़ा नही है
गृहस्थी गणित है सरल जिंदगी का
यहाँ कोई उलझा पहाड़ा नहीं है
मुहब्बत के गुजरे हुए सब पलों को
सहेजा समझ धूल झाड़ा नहीं है
सुरीली है धुन प्यार की बांसुरी की
जिसे पीट दें वो नगाड़ा नहीं है
कभी भी न उजड़ेगी उल्फ़त की दुनियाँ
किसी का कभी कुछ बिगाड़ा नहीं है
भले हम रहे रूठते या मनाते
कभी शेर जैसा दहाड़ा नहीं है
बनाया सुखद नीड़ है प्यार का जो
हमे देना अब उस का' भाड़ा नहीं है