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लेकिन पुल / केशव शरण
Kavita Kosh से
जो राह किनारे था
बीच राह में है
जो प्रवाह के ऊपर था
प्रवाह में है
पेड़ तो माना
पुराना था
लेकिन पुल?
चार दिन भी न हुए थे
उद्घाटन को उसके
कहाँ से आ गया वातुल !