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लोन मेला / देवेन्द्र आर्य

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 चलो, लोन मेला में हो आएँ।

फ्रीज़ मिले, कार मिले
सोलहो सिंगार मिले
लोन में मिलें मम्मी पापा
पूँजी है शेषनाग
ब्रह्म-ग्यान पूँजी को
व्यापे ना दैहिक दैविक भौतिक तापा

पुनर्पाठ नश्वर दुनिया की नश्वरता का
मण्डी का दर्शन अपनाएँ
चलो, लोन मेला में हो आएँ।

किसी भी डिजाइन का टूटा-फूटा लाओ
बदले में नया प्रेम ले जाओ
बम्पर डिस्काउण्ट है
एक प्यार खर्च करो तीन प्यार पाओ

नया-नया लांच हुआ सच का हूबहू झूठ
चलो, क्लोन मेला में हो आएँ !

थोड़ा-सा फिसलो और गट्ठर भर नेम-फेम
करनी में चार्वाक कविता में शेम-शेम
भीतर से चाटुकार, बाहर से भगतसिंह
द्वंद्व ही कला है, जीवन है

ख़तरा है, ख़तरे से बचने के लिए बिकें
बिकने के लिए खरीदवाएँ
ए सुगना,
हम भी दुनिया से ऊपर तो नहीं
एक क़दम अमरीका हो जाएँ।