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वक़्त की गर्द से, दिल में तेरी यादों के नकूश / मेहर गेरा

 
वक़्त की गर्द से, दिल में तेरी यादों के नकूश
अब हैं मुबहम मेरे हाथों की लकीरों की तरह

कोई जंज़ीर बज़ाहिर न ही जिन्दां की फ़सील
फिर भी जीते हैं कई लोग असीरों की तरह

आज वीराने में बैठे हैं तो कल दश्त-नवर्द
हमने इक उम्र गुज़ारी है फ़क़ीरों की तरह।