आज तक अपनी बेकली का सबब <br>
ख़ुद भी जाना नहीं के तुझसे कहें <br><br>
एक तू हर्फ़ आशना था मगर <br>
अब ज़माना नहीं के तुझसे कहें <br><br>
बे-तरह दिल है और तुझसे <br>
दोस्ताना नहीं के तुझसे कहें <br><br>
एक तू हर्फ़ आशना था मगर <br>
अब ज़माना नहीं के तुझसे कहें <br><br>
ऐ ख़ुदा दर्द-ए-दिल है बख़्शिश-ए-दोस्त <br>