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शब हाथ हमारे जो मय-ए-नाब न आई / ज़फ़र
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08:43, 29 दिसम्बर 2010
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शब, हाथ हमारे जो मये-नाब
<ref>मदिरा</ref>
न आई
कैफियते-शे‘रे शबे-महताब न आई
</Poem>
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आशिष पुरोहित
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