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द्रौपदी प्रसंग (फाग) / रामराज
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17:14, 29 दिसम्बर 2010
हरी हरि टेरे ।।1।।
हमैं उघारि देखि कइसै पइहैं,
प्या रे
प्यारे
भीम सुधिया मोरी लेइहैं
तेउ अब मौन गहे रे ।।
अनिल जनविजय
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