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याद रखना जो हुए घर से जो बेघर आँसू / कुमार अनिल
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09:43, 31 दिसम्बर 2010
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|रचनाकार=कुमार अनिल
|संग्रह=और कब तक चुप रहें / कुमार अनिल
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<poem>याद रखना कि हुए घर से जो बेघर आँसू
तो जमीं को ही बना देंगे समंदर आँसू
Shrddha
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