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Kavita Kosh से
उसका मुखड़ा चमके यूँ आँचल में कुछ
लगता है अब वो भी सियासत भूल सीख गया
उसकी बातें पल में कुछ हैं पल में कुछ
नई बात है जैसे ताजमहल में कुछ
लहरें उटठी यादों की दिल में ऐसे
फेंका हो कंकर सा जैसे जल में कुछ