भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आम की टहनी / कैलाश गौतम

12 bytes added, 07:04, 4 जनवरी 2011
|संग्रह=
}}
[[Category:गीत]]{{KKCatNavgeet}}<poem>
देख करके बौर वाली
 
आम की टहनी
 
तन गये घुटने कि जैसे
 खुल गयी कुहनी।गई कुहनी ।
धूप बतियाती हवा से
 
रंग बतियाते
 
फूल-पत्तों के ठहाके
 
दूर तक जाते
छू गई चुटकी
हँसी की हो गई बोहनी ।
छू गयी चुटकी हँसी की हो गई बोहनी।  पीठ पर बस्ता लियेलिए
विद्या कसम खाते
 
जा रहे स्कूल बच्चे
 
शब्द खनकाते
इस तरह
सब रम गए हैं सुध नहीं अपनी ।
इस तरह  सब रम गये हैं सुध नहीं अपनी।  राग में डूबीं दिशायेंदिशाएँ
रंग में डूबीं
 हाथ आयी आई ज़िन्दगी के 
संग में डूबीं
  कल  उतरने जा रही है खेत में कटनी</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,482
edits