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एक रात का खंडित स्वप्न हैं या / कुमार अनिल
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14:52, 4 जनवरी 2011
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एक रात का खंडित स्वप्न हैं
कभी एक समंदर थे लेकिन,
अब रेगिस्तान की प्यास हैं हम ।
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अनिल जनविजय
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