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एक रात का खंडित स्वप्न हैं या / कुमार अनिल
Kavita Kosh से
एक रात का खंडित स्वप्न हैं
या दिन का टूटा विश्वास हैं हम ।
क्या पूछते हो क्या बतलाएँ,
एक भूला हुआ इतिहास हैं हम ।
हमें दिल से ज़रा महसूस करो,
एक दर्द भरा एहसास हैं हम ।
कभी एक समंदर थे लेकिन,
अब रेगिस्तान की प्यास हैं हम ।