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{{KKRachna
| रचनाकार=नक़्श लायलपुरी
| संग्रह =
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
वो आएगा दिल से दुआ तो करो
नमाज़े-मुहब्बत अदा तो करो
मिलेगा कोई बन के उनवान भी
कहानी के तुम इब्तदा तो करो
समझने लगोगे नज़र की ज़बां
मुहब्बत से दिल आशना तो करो
तुम्हें मार डालेंगी तन्हाईयाँ
हमें अपने दिल से जुदा तो करो
तुम्हारे करम से है यह ज़िंदगी
मैं बुझ जाऊँगा तुम हवा तो करो
हज़ारों मनाज़िर निगाहों में हैं
रुकोगे कहाँ फ़ैसला तो करो
पुकारे तुम्हें कूचाए-आरज़ू
कभी 'नक़्श' दिल का कहा तो करो
</poem>
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| रचनाकार=नक़्श लायलपुरी
| संग्रह =
}}
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वो आएगा दिल से दुआ तो करो
नमाज़े-मुहब्बत अदा तो करो
मिलेगा कोई बन के उनवान भी
कहानी के तुम इब्तदा तो करो
समझने लगोगे नज़र की ज़बां
मुहब्बत से दिल आशना तो करो
तुम्हें मार डालेंगी तन्हाईयाँ
हमें अपने दिल से जुदा तो करो
तुम्हारे करम से है यह ज़िंदगी
मैं बुझ जाऊँगा तुम हवा तो करो
हज़ारों मनाज़िर निगाहों में हैं
रुकोगे कहाँ फ़ैसला तो करो
पुकारे तुम्हें कूचाए-आरज़ू
कभी 'नक़्श' दिल का कहा तो करो
</poem>