गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
जिन पर मेघ के नयन गिरे / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल
3 bytes added
,
21:17, 22 जनवरी 2011
जिन पर मेघ के नयन गिरे
वे सब के सब हो गए हरे
पझड़
पतझड़
का सुनकर करूँ रुदन
जिसने उतार दे दिए वसन
उस पर निकले किशोर किसलय
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,279
edits