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|भाषा=भोजपुरी
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अमवा के लागेला टकोरवा रे संगिया
 
गूलर फरे ले हड़फोर
 
गोरिया के उठेलाहा छाती के जोबनवाँ
 
पिया के खेलवना रे होइ
 
'''भावार्थ'''
--'आमों के टिकोरे लग गए, ओ संगी ! 
गूलर भी हड्डियों को फोड़कर फलों से लद गए हैं
 
गोरी के उरोज भी उभर आए हैं
 
अरे ये तो प्रियतम के लिए खिलौने बनेंगे !'
</poem>
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