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कहीं कोई जी रहा है उसके लिए / चन्द्रकान्त देवताले
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15:05, 16 फ़रवरी 2011
"यहाँ कोई नहीं रहता"...
उसे
पत
पता
तक नहीं
गाती हुई आवाज़ों के घर में
कहीं कोई जी रहा है
उसके लिए ।
</poem>
अनिल जनविजय
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