तन-मन झूम जाता है<br>
गीत बन जाता है<br><br>
प्रेम जिजीविषा का विकास है<br>
जीवन का प्रकाश है<br>
मन-मयूर नाच उठता है<br>
गीत बन निखरता है<br><br>
प्रेम मन का विश्वास है<br>
जीवन की मिठास है<br>
मीठी मनुहार है<br>
रोम-रोम लहलहाता है<br>
गीत बन जाता है<br><br>
शूल कहीं चुभता है<br>
मर्म चीख उठता है<br>
अन्तस गुनगुनाता है<br>
गीत बुन जाता है<br><br>
बसन्त रितु का प्रसार<br>
नवयौवना का विरह श्रुंगार<br>