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{{KKRachna
|रचनाकार= चन्द्रकुंवर बर्त्वाल
|संग्रह=जीतू / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल
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''' राखीकविता का एक अंश ही उपलब्ध है । शेषांश आपके पास हो तो कृपया जोड़ दें या कविता कोश टीम को भेज दें''' (नारी के प्रति नवीन दृष्टिकोण )
भाई बहिन मिलेंगे
मानो पहली बार मिले हों
हम मिलते होें हों
माँ के लोचन हमें देख गीले हों
पा गया हूँ मैं बहन,
माँ तुम्हारे शून्य उर में
आ गया रूनरुन-झुन। (राखी कविता का अंश)झुन ।
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