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राखी / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल
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भाई बहिन मिलेंगे
मानो पहली बार मिले हों
हम मिलते हों
माँ के लोचन हमें देख गीले हों
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पा गई आज तुम भैया,
पा गया हूँ मैं बहन,
माँ तुम्हारे शून्य उर में
आ गया रुन-झुन ।