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ठंड के अहसास वाले
पल हुए !
 
बर्फ़ में ढलने लगे
ज्वाला मुखी
रोशनी की हर जलन
लगती चुकी
 
धुएँ गीली आँख का
काजल हुए !
 
धूप की गर्मी
हुई है चाँदनी
लू हिमानी शीत का
कुहरा बनी
 
सूर्यदेही
अब सजल बादल हुए !
 
बींधती है देह
हिमदंती हवा
धमनियों में
एक सन्नाटा थमा
 
गूँजते वन
मौन के जंगल हुए !
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