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शिशिर की रात (2) / महेन्द्र भटनागर
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19:31, 31 मार्च 2011
|रचनाकार=महेन्द्र भटनागर
|संग्रह= मधुरिमा / महेन्द्र भटनागर
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{{KKCatKavita
}}
स्तब्ध, गीली, शुभ्र धुँधली रात है,<br>
बह रहा शीतल शिशिर का वात है !<br><BR>
Pratishtha
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