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'''लेखन वर्ष: २००४ /२०११'''
जो लोग अच्छे होते हैं दिखते नहीं हैं
चाहने वाले सच्चे दोस्त बाज़ार में बिकते नहीं हैं
ख़ुद से पराया ग़ैरों से अपना रहे जो
सच है ऐसे लोग एक दिल में टिकते नहीं हैं
सूरत से सूरतों में जो सीरत को छिपाये फिरते छिपा लेते हैं
वो कभी सादा चेहरों में दिखते नहीं हैं
होता होती है नुमाया <ref>प्रकट</ref> दिल को दिल सेकी हर बात, दोस्त!मन के भेद यूँ परदों में छिपते नहीं हैं
इन्साँ इंसान है वह जो जाने इन्सानियतइंसानियत को
हैवान कभी निक़ाबों में छिपते नहीं हैं
वक़्त में तले दब जाती हैं कही-सुनी बातेंहम कभी कुछ अपने दिल में रखते नहीं हैं
पलटते हैं जो कभी माज़ी के पन्नों को
ये आँसू तेरी याद में रुकते नहीं हैं
नहीं मरना आसाँ तो है, न जीना भी ही आसाँ नहींहैचाहकर भी मिटने वाले मिटते नहीं हैं {{KKMeaning}}
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