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'''लेखन वर्ष: २००४ /२०११'''
जो लोग अच्छे होते हैं दिखते नहीं हैं
ख़ुद से पराया ग़ैरों से अपना रहे जो
सच है ऐसे लोग एक दिल में टिकते नहीं हैं
वो कभी सादा चेहरों में दिखते नहीं हैं
हैवान कभी निक़ाबों में छिपते नहीं हैं
वक़्त में तले दब जाती हैं कही-सुनी बातेंहम कभी कुछ अपने दिल में रखते नहीं हैं
पलटते हैं जो कभी माज़ी के पन्नों को
ये आँसू तेरी याद में रुकते नहीं हैं
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