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जो लोग अच्छे होते हैं दिखते नहीं हैं/ विनय प्रजापति 'नज़र'
Kavita Kosh से
लेखन वर्ष: २००४/२०११
जो लोग अच्छे होते हैं दिखते नहीं हैं
सच्चे दोस्त बाज़ार में बिकते नहीं हैं
ख़ुद से पराया ग़ैरों से अपना रहे जो
सच है ऐसे लोग दिल में टिकते नहीं हैं
सूरतों में जो सीरत को छिपा लेते हैं
वो कभी सादा चेहरों में दिखते नहीं हैं
होती है नुमाया<ref>प्रकट</ref> दिल की हर बात, दोस्त!
मन के भेद यूँ परदों में छिपते नहीं हैं
इंसान है वह जो जाने इंसानियत को
हैवान कभी निक़ाबों में छिपते नहीं हैं
वक़्त तले दब जाती हैं कही-सुनी बातें
हम कभी कुछ अपने दिल में रखते नहीं हैं
पलटते हैं जो कभी माज़ी के पन्नों को
ये आँसू तेरी याद में रुकते नहीं हैं
न मरना आसाँ है, न जीना ही आसाँ है
चाहकर भी मिटने वाले मिटते नहीं हैं
शब्दार्थ
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