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'''लेखन वर्ष: 2004२००४/२०११'''
मेरा यह दर्द ख़त्म हो जाये कभी
जो तू दुआ में तू मुझे माँग पाये कभी
टूट चुके हैं मेरी तमन्ना के दोश<ref>कंधे</ref>तू ख़ुद संभाला देने को मुझे संभालने आये कभी
कबसे गया है न आया आज तकतलकमेरी आरज़ू चाहत तुझे खींच लाये कभी
ख़ुदाया यारब<ref>ऐ ख़ुदा</ref> मैं भटक रहा हूँ सहराँ <ref>रेगिस्तान</ref> में
कोई इस तस्कीं को मिटाये कभी
शामें ग़मगीन शाम है <ref>दुख में लिप्त</ref> हैं और उदास हमक्यों गुफ़्तगू <ref>बातचीत</ref> का मौक़ा आये कभी
हमसे मुझसे अब उल्फ़त किये बनती नहींमोहब्बत राहेरहे-जुस्तजू <ref>चाहत के रास्ते</ref> पाये कभी
ख़स्ता हाल <ref>बहुत कमज़ोर</ref> है दिल बहुत तेरे लिएतुझे तुझको गर मजमूँ यह <ref>विषय</ref> समझ आये कभी
तस्वीर तस्वीरें मुझसे बात करती नहींतेरा यह दीवाना सुकून पाये कभी
तेरी कशिश भरी एक नज़र इधरभी हो
दिल पर अपना जादू चलाये कभी
तुम न जानो मेरे मेरा प्यार के बारे मेंये अलग बातऔर पर ख़ुशबू तेरा पयाम लाये कभी
पहली नज़र से जो हसरत है मुझे
काश ख़ूबरू सुम्बुल उसे समझ पाये कभी
'''शब्दार्थ:दोश : कंधा, shoulder | मजमूँ : विषय, subject | ख़ूबरू : सुन्दर चेहरे वाला, beautiful{{KKMeaning}}
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