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{{KKLokRachna
|रचनाकार=अज्ञात
}}
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|भाषा=खड़ी बोली
}}
'''मल्हार'''
<poem>
कित रै गये थे पिया रात ने
अरे पिया कित रै गँवाई सारी रैन
मैं रंगमहल में एकली<br>
</poem>
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'''मल्हार'''
<poem>
कित रै गये थे पिया रात ने
अरे पिया कित रै गँवाई सारी रैन
मैं रंगमहल में एकली<br>
</poem>