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कित रै गये थे पिया रात ने / खड़ी बोली

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

मल्हार

कित रै गये थे पिया रात ने
अरे पिया कित रै गँवाई सारी रैन
मैं रंगमहल में एकली