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{{KKRachna
|रचनाकार=त्रिपुरारि कुमार शर्मा
}}
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चाँद चुटकी भर रख दिया किसी ने
मचलती हुई - सी रात के माथे पर

बेचारी रात सुबह विधवा हो जायेगी
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