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चाँद चुटकी भर रख दिया किसी ने / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
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चाँद चुटकी भर रख दिया किसी ने
मचलती हुई - सी रात के माथे पर
बेचारी रात सुबह विधवा हो जायेगी