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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=त्रिपुरारि कुमार शर्मा }} {{KKCatTriveni}} <poem> मेरी एक आँख म…
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{{KKRachna
|रचनाकार=त्रिपुरारि कुमार शर्मा
}}
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मेरी एक आँख में रात अभी सोई है
दुसरी आँख में सुबह सुगबुगाने लगी

सुहागरात से जगी हो मेरी नींद जैसे
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